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शानू (स्वरा भास्कर) स्कूल में अंग्रेजी पढ़ाती है, और अभी-अभी ही मेरठ शहर आई है। शानू का रहन-सहन स्टाइलिश होने की वजह से शहर के पुरुष उसके सपने देखने लग जाते हैं। यहां तक कि स्कूल में पढ़ने वाला नंद अपनी ही कक्षा की प्रियंका को पसंद करता रहता है, लेकिन शानू टीचर को देख कर उसपे लट्टू हो जाता है। सेक्स के मामले में खाता खोलने को वह और उसके दोस्त आतुर हैं। दूसरी ओर शानू के पति नौकरी की वजह से कई दिनों तक घर नहीं रहते हैं। इधर पुरे शहर में शानू टीचर के अनैतिक संबंधों को लेकर चर्चे होना शुरू हो जाते हैं। इन्हीं पुरुषों की पत्नियों की हर रोज बैठक होती है, यह महिला मंडली शानू को रंगे हाथ पकड़ना चाहती है। वे शानू के घर के पास जासूस भी रखती हैं, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकलता। इधर नंद शानू टीचर के यहां ट्यूशन जाना शुरू कर देता हैं, जहां वह मौका देख कर शानू टीचर के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है। उसे मौका भी मिलता है, लेकिन शानू टीचर उसकी इसी हरकत के कारण उसे थप्पड़ मार कर ट्यूशन आने से मना कर देती है। वह शानू टीचर से माफी मांगता है लेकिन शानू टीचर से बदला लेने के लिए उसके पति को शानू के नाजायज संबंधों के बारे में बता देता है। तब उसका पति परेशान हो जाता है और कहता है कि ये शानू नहीं रसभरी है। तब नंद के मन में मौजूद शानू को लेकर गलतफहमी दूर हो जाती है। अब शानू को मल्टीपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर है या कोई भूत का साया, ये तो सीरीज पूरी देख कर ही पता चला पायेगा। इधर महिला मंडल शानू को उसकी करतूतों के लिए सबक सिखाने के लिए योजना को अंजाम देने वाली होती है।
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रसभरी वेब सीरीज की कहानी ठीक है, ऐसा हकीकत में भी होता है, बच्चे अपने टीचर्स को पसंद करने लगजाते हैं। फिल्म की अच्छी बात ये है कि भटकते किशोर को टीचर सही रास्ता भी दिखाती है, ऐसे समय में जब नई जनरेशन को बिलकुल नापसंद किया जाने लगा है, उस वक्त में एक टीचर को उसके स्टूडेंट के साथ उसकी बात को सुनने और उसे सही राह दिखाने जैसा सीन तारीफे काबिल है। कई बच्चे हैं, जो जनरेशन गेप के कारण अपने माता-पिता या टीचर से अपनी समस्या नहीं बता पाते और गलत कदम पर चले जाते हैं। ऐसे में यह सीन ठंडक देता हैं।
स्क्रीनप्ले अच्छा लिखा गया है लेकिन रसभरी के नंद को किस करने वाला सीन बेवजह था। शुरू-शुरू में लगता हैं कि ये सब अनैतिक संबंधों की अफवाहे हैं, लेखक-निर्देशक भनक भी नहीं पड़ने देते और चौथे-पांचवे एपिसोड में पता चलता है कि ये तो कुछ और ही मामला है। रसभरी की कहानी ने जो मकसद शुरू में दिखाया, अंत तक उसे दिखाने में नाकामयाब हो गई। इन बातों को हटा दें तो कहानी को स्क्रीनप्ले बखूबी दिखाता है।
निर्देशन गजब का हैं, शानू से लेकर रसभरी तक बदलने में स्वरा के साथ-साथ निर्देशक की भी कड़ी मेहनत हैं। रसभरी के डायलॉग भी मजेदार हैं। स्वरा में खासियत हैं कि उनका उर्दू उच्चारण अच्छा है। यह सीरीज पूरी तरह से स्वरा के नाम है। आयुष्मान का अभिनय पहले-दूसरे एपिसोड में गड़बड़ था, लेकिन आगे उन्होंने रफ्तार थाम ली। रसभरी वेब सीरीज की सिनेमाटोग्राफी कमाल की है और थीम सांग तो बहुत क्रिऐटव बनाया गया है, जिसे आप बार-बार सुनना भी चाहेंगे और देखना भी।
रसभरी आपको अंत तक हंसाएगी। अंत में सिर्फ इतना कि रसभरी वेब सीरीज देखने लायक है, हालाँकि थोड़ा सा कंटेंट एडल्ट है, लेकिन इसे 16+ बच्चे भी देख सकते हैं।